Wednesday 5 August 2020

रोग मुक्ति, असाध्य रोग निवारण

   रोग मुक्ति।

कई बार देखा गया है कि कोई अत्यंत बीमार हो गया है लेकिन सभी चिकित्सीय परिक्षण किसी बीमारी का कोई लक्षण नहीं बताते तो हो सकता हो कि जातक प्रेत बाधा से पीड़ित हो।

वेदों में बताए गए मंत्रों और यज्ञों में असाध्य रोग दूर करने की शक्ति भी होती है। अगर कोई रोग अनुसार उचित मंत्रों का जाप-पाठ और यज्ञ करें तो मृत्यु भी टल सकती है। अगर हमारी भक्ति साधना सही है। तो

प्राणी की जीवन की यात्रा जन्म से प्रारम्भ हो जाती है। उसकी मंजिलनिर्धारित होती है। यहाँ से मानव जीवन की यात्रा के मार्ग परविस्तारपूर्वक वर्णन है। मानव (स्त्री/पुरूष) की मंजिल मोक्ष प्राप्ति है। उसके मार्गमें पाप तथा पुण्य कर्मों के गढ्ढ़े तथा काँटे हैं। आप जी को आश्चर्य होगा कि पापकर्म तो बाधक होते हैं, पुण्य तो सुखदाई होते हैं। इनको गढ्ढे़ कहना उचित नहीं।इसका संक्षिप्त वर्णन :-पाप रूपी गढ्ढ़े व काँटे :- मानव जीवन परमात्मा की शास्त्राविधि अनुसारसाधना करके मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्राप्त होता है। पाप कर्म का कष्ट भक्तिमें बाधा करता है। उदाहरण के लिए पाप कर्म के कारण शरीर में रोग हो जाना,पशु धन में तथा फसल में हानि हो जाना। ऋण की वृद्धि करता है। ऋणी व्यक्तिदिन-रात चिंतित रहता है। वह भक्ति नहीं कर पाता। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेनेके पश्चात् परमेश्वर उस भक्त के उपरोक्त कष्ट समाप्त कर देता है। तब भक्तअपनी भक्ति अधिक श्रद्धा से करने लगता है। परमात्मा पर विश्वास बढ़ता है, दृढ़होता है। परंतु भक्त को परमात्मा के प्रति समर्पित होना चाहिए। जैसे पतिव्रता स्त्रीअपने पति के अतिरिक्त किसी अन्य पुरूष को कामपूर्ति (Sexual Satisfaction) के लिए स्वपन में भी नहीं चाहती चाहे कोई कितना ही सुंदर हो। उसका पति अपनीपत्नी को हरसंभव कोशिश करके सर्व सुविधाऐं उपलब्ध करवाता है। विशेष प्रेमकरता है। इसी प्रकार दीक्षा लेने के पश्चात् आत्मा का संयोग परमात्मा से होताहै। गुरू जी आत्मा का विवाह परमात्मा से करवा देता है। यदि वह मानवशरीरधारी आत्मा अपने पति परमेश्वर के प्रति पतिव्रता की तरह समर्पित रहती हैयानि पूर्ण परमात्मा के अतिरिक्त अन्य किसी देवी-देवता से मनोकामना की पूर्तिनहीं चाहती है तो उसका पति परमेश्वर उसके जीवन मार्ग में बाधक सब पाप कर्मोंके काँटों को बुहार देता है। उस आत्मा की जीने की राह सुगम व बाधारहित होजाती है। उसको मंजिल सरलता से मिल जाती है।
इसलिए हम शास्त्र अनुकूल साधना हमारे सभी धर्म ग्रंथों से बताई गई है उसी के मार्ग पर चलें और परमात्मा की भक्ति करें तो कितनी भी बुरी बीमारी हो किसी भी प्रकार का रोग हो परमात्मा सब ठीक है कर सकता है

आज पूरे भारतवर्ष में हजारों धर्मगुरु है लेकिन किसी के पास यथार्थ भक्ति मार्ग नहीं है और उनकी दी गई भक्ति से कोई पाप कोई भी बीमारी नहीं कर सकती जो हमारे धर्म ग्रंथों में प्रमाणित है हमारे धर्म ग्रंथों में वेदों में ऐसा प्रमाण है कि साधक परमात्मा की सही भक्ति करता है शास्त्र अनुकूल तो उनके पाप कर्म कट जाते हैं जो किसी भी धर्म गुरु के पास वह भक्ति नहीं है
संत रामपाल जी महाराज पूरे भारतवर्ष में पूर्ण गुरु है जो यथार्थ भक्ति मार्ग देते हैं उस परमेश्वर की भक्ति देते हैं जो कैंसर हो चाहे लाईलाज बीमारी हो किसी भी प्रकार की बीमारी हो उनकी दी गई भक्ति से सब बीमारी मिट जाती है और साधक सुखी जीवन जीता है