Tuesday 16 November 2021

पवित्र मुसलमान धर्म का संक्षिप्त परिचय


पवित्र र्कुआन शरीफ ने प्रभु के विषय में क्या बताया है ?

परम पूज्य कबीर परमेश्वर ने कहना प्रारम्भ किया। पवित्र र्कुआन शरीफ सुरत फुर्कानि संख्या 25 आयत 52 से 59 में जिस कबीर अल्लाह का विवरण है वह पूर्ण परमात्मा है। जिसे अल्लाहु अकबर(अकबीरू) कहते हो। र्कुआन शरीफ का ज्ञान दाता अल्लाह किसी अन्य कबीर नामक अल्लाह की महिमा का गुणगान कर रहा है। आयत सं. 52 से 58 तथा 59 में हजरत मुहम्मद जी को र्कुआन शरीफ के ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि हे नबी मुहम्मद ! जो कबीर नामक अल्लाह है उसने सर्व ब्रह्मण्डो की रचना की है। वही सर्व पाप नाश (क्षमा) करने वाला है तथा सर्व के पूजा करने योग्य है(इबादही कबीरा अर्थात् पूजा के योग्य कबीर)। उसी ने जमीन तथा आसमान के मध्य जो कुछ भी है सर्व की रचना छः दिन में की है तथा सातवें दिन आसमान में तख्त पर जा विराजा। काफिर लोग उस कबीर प्रभु (अल्लाहु अकबर) को सर्व शक्तिमान प्रभु नहीं मानते। आप उनकी बातों में मत आना। उनका कहा मत मानना। मेरे द्वारा दिए र्कुआन शरीफ की दलीलों पर विश्वास रखना तथा अहिंसा के साथ कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष (जिहाद) करना, लड़ाई नहीं करना (सूरत फुर्कानि आयत 52)। उस परमात्मा कबीर (अल्लाहु अकबर) की भक्ति विधि तथा उसके विषय में पूर्ण ज्ञान मुझे नहीं है। उस सर्व शक्तिमान, सर्व ब्रह्मण्डों के रचनहार, सर्व पाप नाशक, सर्व के पूजा योग्य कबीर अल्लाह की पूजा के विषय में किसी तत्त्वदर्शी (बाखबर) संत से पूछो।

कबीर परमेश्वर ने कहा शेखतकी जी आपके अल्लाह को ही ज्ञान नहीं है तो आप के हजरत मुहम्मद साहेब जी को कैसे पूर्ण ज्ञान हो सकता है? तथा अन्य काजी, मुल्ला तथा पीर भी सत्य साधना तथा
तत्त्वज्ञान से वंचित हैं। जिस कारण से साधक के कष्ट का निवारण नहीं होता। अन्य साधना जैसे पाँच समय निमाज, बंग आदि देने से मोक्ष तथा कष्ट निवारण नहीं होता। जन्म-मृत्यु तथा स्वर्ग-नरक तथा अन्य प्राणियों के शरीरों में भी किए कर्म के आधार से कष्ट भोगना पड़ता है। उपरोक्त वार्ता सुनकर शेखतकी ने तुरन्त र्कुआन शरीफ को खोला तथा सूरत फुर्कानि संख्या 25 आयत 52 से 59 को पढ़ा जिसमें उपरोक्त विवरण सही था। वास्तविकता को आँखों देखकर भी मान हानि के भय से कहा कि ऐसा कहीं नही ंलिखा है। यह काफिर झूठ बोल रहा है। उस समय शिक्षा का अभाव था। मुसलमान समाज अरबी भाषा से परिचित नहीं था। र्कुआन शरीफ अरबी भाषा में लिखी थी। बादशाह सिकंदर को भी शंका हो गई कि परमेश्वर कबीर साहेब जी भले ही शक्ति युक्त हैं परन्तु अशिक्षित होने के कारण र्कुआन शरीफ के विषय में नहीं जान सकते। शेखतकी ने जले-भुने वचन बोले क्या तूही है वह बाखबर ? फिर बता दे वह अल्लाहु अकबर कैसा है? यदि परमात्मा को साकार कहता है तो कौन है? कहाँ रहता है?

परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा:- वह कबीर अल्लाह जिसे आप अल्लाहू अकबर कहते हो मैं ही हूँ। मैं ऊपर सतलोक में रहता हूँ। मैंने ही सर्व ब्रह्मण्डों की रचना की है। मैं हजरत मुहम्मद जी को भी जिन्दा संत का रूप धारण करके मिला था तथा उस प्यारी आत्मा को सतलोक दिखाकर वापिस छोड़ा था। हजरत मुहम्मद से कहा था कि आप अब मेरी महिमा सर्व अनुयाईयों को सुनाओ। परन्तु जिबराईल फरिश्ते के भय के कारण तत्त्व ज्ञान का प्रचार नहीं किया तथा न मेरी बातों पर विश्वास किया। क्योंकि उससे पूर्व जिबराईल देवता हजरत मुहम्मद जी को पितर लोक में घुमा लाया था। जहाँ पर हजरत मुहम्मद जी ने अपने पूर्वज बाबा आदम को देखा जो दांई ओर मुंह करके हंस रहा था तथा बांई ओर मुंह करके रो रहा था। हजरत जिबराईल से हजरत मुहम्मद जी ने पूछा कि यह व्यक्ति कौन है, जो एक बार हंस रहा है एक बार रो रहा है ? जिबराईल ने बताया यह बाबा आदम है। दांई ओर स्वर्ग में इनकी पुण्य कर्मी संतान है तथा बांई ओर नरक में बुरी संतान कष्ट उठा रही है। इसलिए जब नेक संतान को स्वर्ग में सुखी देखता है तो हंसत्ता है। जब बांई ओर बुरी संतान को महा कष्ट से नरक में पीड़ित देखता है तो बुरी तरह रोता है। इसी लोक में अन्य स्थान पर हजरत मूसा तथा हजरत ईसा जी आदि को भी देखा। वहाँ पर नबियों की मण्डली देखी। उनसे हजरत मुहम्मद जी की वार्ता हुई। इस कारण से हजरत मुहम्मद काल के जाल को न समझकर उसी स्थान को वास्तविक ठिकाना मान चुका था क्योंकि वहाँ पितर लोक में पवित्र ईसाई तथा पवित्र मुसलमान धर्म के पूज्य बाबा आदम भी थे तथा अन्य नबी भी विराजमान थे।
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