सन् 1403 से {जब पूज्य कविर्देव (कबीरपरमेश्वर) लीलामय शरीर में पाँच वर्ष के हुए} सन् 1518 {जब कविर्देव (कबीरपरमेश्वर) मगहर स्थान से सशरीर सतलोक गए} के बीच में लगभग 600 वर्ष पूर्वपरम पूज्य कबीर परमेश्वर
(कविर्देव) जी द्वारा अपने निजी सेवक (दास भक्त)आदरणीय धर्मदास साहेब जी को सुनाई थी तथा धनी धर्मदास साहेब जी नेलिपिबद्ध की थी। परन्तु उस समय के पवित्रा हिन्दुओं तथा पवित्रा मुसलमानों केनादान गुरुओं (नीम-हकीमों) ने कहा कि यह धाणक (जुलाहा) कबीर झूठा है।किसी भी सद् ग्रन्थ में श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी के माता-पिताका नाम नहीं है। ये तीनों प्रभु अविनाशी हैं इनका जन्म मृत्यु नहीं होता। न हीपवित्रा वेदों व पवित्रा कुरान शरीफ आदि में कबीर परमेश्वर का प्रमाण है तथापरमात्मा को निराकार लिखा है। हम प्रतिदिन पढ़ते हैं। भोली आत्माओं ने उनविचक्षणों (चतुर गुरुओं) पर विश्वास कर लिया कि सचमुच यह कबीर धाणक तोअशिक्षित है तथा गुरु जी शिक्षित हैं, सत्य कह रहे होंगे। आज वही सच्चाई प्रकाशमें आ रही है तथा अपने सर्व पवित्रा धर्मों के पवित्रा सद्ग्रन्थ साक्षी हैं। इससे सिद्धहै कि पूर्ण परमेश्वर, सर्व सृष्टि रचनहार, कुल करतार तथा सर्वज्ञ कविर्देव (कबीरपरमेश्वर) ही है जो काशी (बनारस) में कमल के फूल पर प्रकट हुए तथा 120 वर्षतक वास्तविक तेजोमय शरीर के ऊपर मानव सदृश शरीर हल्के तेज का बना कररहे तथा अपने द्वारा रची सृष्टि का ठीक-ठीक (वास्तविक तत्व) ज्ञान देकर सशरीरसतलोक चले गए।
(कविर्देव) जी द्वारा अपने निजी सेवक (दास भक्त)आदरणीय धर्मदास साहेब जी को सुनाई थी तथा धनी धर्मदास साहेब जी नेलिपिबद्ध की थी। परन्तु उस समय के पवित्रा हिन्दुओं तथा पवित्रा मुसलमानों केनादान गुरुओं (नीम-हकीमों) ने कहा कि यह धाणक (जुलाहा) कबीर झूठा है।किसी भी सद् ग्रन्थ में श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी के माता-पिताका नाम नहीं है। ये तीनों प्रभु अविनाशी हैं इनका जन्म मृत्यु नहीं होता। न हीपवित्रा वेदों व पवित्रा कुरान शरीफ आदि में कबीर परमेश्वर का प्रमाण है तथापरमात्मा को निराकार लिखा है। हम प्रतिदिन पढ़ते हैं। भोली आत्माओं ने उनविचक्षणों (चतुर गुरुओं) पर विश्वास कर लिया कि सचमुच यह कबीर धाणक तोअशिक्षित है तथा गुरु जी शिक्षित हैं, सत्य कह रहे होंगे। आज वही सच्चाई प्रकाशमें आ रही है तथा अपने सर्व पवित्रा धर्मों के पवित्रा सद्ग्रन्थ साक्षी हैं। इससे सिद्धहै कि पूर्ण परमेश्वर, सर्व सृष्टि रचनहार, कुल करतार तथा सर्वज्ञ कविर्देव (कबीरपरमेश्वर) ही है जो काशी (बनारस) में कमल के फूल पर प्रकट हुए तथा 120 वर्षतक वास्तविक तेजोमय शरीर के ऊपर मानव सदृश शरीर हल्के तेज का बना कररहे तथा अपने द्वारा रची सृष्टि का ठीक-ठीक (वास्तविक तत्व) ज्ञान देकर सशरीरसतलोक चले गए।
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