आज हम आप को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी के कबीर प्रकट दिवस (Kabir Sahib Prakat Divas 2020) के बारे में जानकारी देंगे. कबीर प्रकट दिवस 2020 इस वर्ष 05 जून को मनाया जाएगा.
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में श्रद्धालु शंका व्यक्त करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा (धाणक) पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सत्य तो यही है कि वेदों में कविर्देव यही काशी वाला जुलाहा (धाणक) पूर्ण परमात्मा हैं। श्रद्धालुओं से निवेदन कृपया सच्चाई को समझें
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें आप के घर में क्या कमी है। प्रभु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुःखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई हैं जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
कबीर साहेब जी का कलयुग में प्रकट होना
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। अगर हम एक कमल के फूल पर छोटे-से पत्थर का टुकड़ा रखे तो नहीं टिक सकता। पर कबीर साहेब जी कमल के फूल पर छोटे से बालक रूप में प्रकट हुए।
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में श्रद्धालु शंका व्यक्त करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा (धाणक) पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सत्य तो यही है कि वेदों में कविर्देव यही काशी वाला जुलाहा (धाणक) पूर्ण परमात्मा हैं। श्रद्धालुओं से निवेदन कृपया सच्चाई को समझें
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें आप के घर में क्या कमी है। प्रभु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुःखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई हैं जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
कबीर साहेब जी का कलयुग में प्रकट होना
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। अगर हम एक कमल के फूल पर छोटे-से पत्थर का टुकड़ा रखे तो नहीं टिक सकता। पर कबीर साहेब जी कमल के फूल पर छोटे से बालक रूप में प्रकट हुए।