Wednesday 20 May 2020

जैसा कि पूर्वोक्त प्रसंग में एक वृद्ध ने बताया कि सर्व संतान का पाल-पोसकर विवाह कर दिया। मेरे मानव जीवन का कार्य पूरा हुआ, मेरा जीवन सफल हुआ। अब बे शक मौत आजाए  विचारणीय विषय है कि उसने तो पूर्व का जमा ही खर्च कर दिया, भविष्य के लिए कुछ नहीं किया। जिस कारण से उस व्यक्ति का मानव जीवन व्यर्थ गया।कबीर जी ने कहा है कि :-क्या मांगुँ कुछ थिर ना रहाई। देखत नैन चला जग जाई।।एक लख पूत सवा लख नाती। उस रावण कै दीवा न बाती।।भावार्थ :- यदि एक मनुष्य एक पुत्र से वंश बेल को सदा बनाए रखना चाहता है तो यह उसकी भूल है। जैसे श्रीलंका के राजा रावण के एक लाख पुत्र थे

 तथा सवा लाख पौत्र थे। वर्तमान में उसके कुल (वंश) में कोई घर में दीप जलाने वाला
भी नहीं है। सब नष्ट हो गए। इसलिए हे मानव! परमात्मा से यह क्या माँगता है
जो स्थाई ही नहीं है। यह अध्यात्म ज्ञान के अभाव के कारण प्रेरणा बनी है।
परमात्मा आप जी को आपका संस्कार देता है। आपका किया कुछ नहीं हो रहा।

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